भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चाँदनी से तरबतर / भवानीप्रसाद मिश्र

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:19, 1 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चांदनी से तरबतर वह रात
वन के वृक्ष
वृक्षों पर सटी बैठी हुई
झंकारवन्ती झिल्लियाँ

सब याद है
फिर न उतना सुख
न इतना दुख मिले
फ़रियाद है