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एक आगमन / भवानीप्रसाद मिश्र

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आता है सूरज तो जाती है रात
किरणों ने झाँका है होगा प्रभात
नये भाव पंछी चहकते है आज

नए फूल मन मे महकते हैं आज
नये बागबां हम नये ढंग से
जगत को रंगेंगे नए रंग से
खिलाएंगे कड़ी के फल-फूल पात

करोड़ों कदम गम को कुचलेंगे जब
ख़ुशी की तरंगों में मचलेंगे जब
तो सूरज हँसेगा हँसेगी सबा
बदल जायेंगे आग पानी हवा

बढ़ाओ कदम लो चलाओ हाथ
आता है सूरज तो जाती है रात
किरणों ने झाँका है होगा प्रभात