भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुकों के खेल / भवानीप्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:34, 1 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मेल बेमेल
तुकों के खेल
जैसे भाषा के ऊंट की
नाक में नकेल !
इससे कुछ तो
बनता है
भाषा के ऊंट का सिर
जितना तानो
उतना तनता है!