भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तोसे मिलहौं, हे राधिके! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 3 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
तोसे मिलहौं, हे राधिके!
रहे कैसे एक छिन हूँ प्राण तुम बिन दीन, राधिके॥
रहे कैसे अग्रि जीवित दहन-शक्ति-विहीन राधिके।
रहे सूरज-चाँद कैसे प्रभा-आभा-हीन राधिके॥
सा भगवा बिना भगवान जीवनहीन राधिके।
ज्यों परस जहँ, स्याम-जीवन राधिका आधीन राधिके॥