भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोटा वाल्ट्ज़ / एडम ज़गायेवस्‍की

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:07, 19 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एडम ज़गायेवस्‍की |अनुवादक=गीत चत...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इतने चंचल हैं दिन, इतने चमकदार
कि दुबली नन्ही हथेलियां भी
ढंकी हुई हैं उपेक्षा की सफ़ेद धूल से
अंगूर के बग़ीचों में बहुत धीरे सरसराते हैं सांप
लेकिन शाम का समंदर अंधेरे जितना गाढ़ा हो जाता है और
लटकता है सिर के ऊपर जैसे
सर्वश्रेष्ठ लिपियों में लटकते हैं विराम चिह्न
बमुश्किल हिलती है समुद्री चिडियां.
शराब की एक बूंद उत्‍कीर्ण है तुम्हारे होंठों पर
चूने के पहाड़ धीमी गति से पिघलते हैं
क्षितिज पर और एक तारा उगता है.
रात में चौराहे पर बेदाग़ सफ़ेद पोशाकों में नाविकों का एक ऑर्केस्ट्रा
बजाता है शोस्ताकोविच का छोटा वाल्ट्ज़, छोटे बच्चे
रोते हैं जैसे कि वे समझ गए हों
यह ख़ुशदिल संगीत अंतत: कहना क्या चाहता है.
हम दुनिया के संदूक़ में बंद हो चुके हैं,
प्रेम हमें स्वतंत्र करता है, समय हमारी हत्या.

  • कम समयावधि का वाल्ट्ज़। अक्सर एक मिनट में समाप्त हो जाने वाला।

शोपां ने इसकी शुरुआत की थी।