Last modified on 21 अप्रैल 2014, at 07:59

बीत गये दिन / कबीर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:59, 21 अप्रैल 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे भजन बिना रे॥

बाल अवस्था खेल गँवायो।
जब यौवन तब मान घना रे॥

लाहे कारण मूल गँवायो।
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥

कहत कबीर सुनो भई साधो।
पार उतर गये संत जना रे॥