भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेरे हीं भुजान पर भूतल को भार / भूषण
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:43, 29 अप्रैल 2014 का अवतरण
तेरे हीं भुजान पर भूतल को भार,
कहिबे को सेसनाग दिननाग हिमाचल है.
तरो अवतार जम पोसन करन हार,
कछु करतार को न तो मधि अम्ल है.
सहित में सरजा समत्थ सिवराज कवि,
भूषण कहत जीवो तेरोई सफल है.
तेरो करबाल करै म्लेच्छन को काल बिनु,
काज होत काल बदनाम धरातल है.