Last modified on 29 अप्रैल 2014, at 19:07

औरे भांति कुंजन में गुंजरत भौर भीर(ऋतु वर्णन) / पद्माकर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:07, 29 अप्रैल 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

औरे भांति कुंजन में गुंजरत भौर भीर,
औरे भांति बौरन के झौरन के ह्वै गए.
कहै ‘पदमाकर’ सु औरे भांति गलियानि,
छलिया छबीले छैल औरे छबि छ्वै गए.
औरे भांति बिहँग समाज में आवाज होति,
अबैं ऋतुराज के न आजु दिन द्वै गए.
औरे रस,औरे रीति औरे राग औरे रंग,
औरे तन औरे मन, औरे बन ह्वै गए.