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अब मुझे तय करने दो / शैलजा पाठक
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तुमने हमेशा तय कीं
मेरी सीमाएं
मेरा होना नहीं होना भी
तुमने तय कीं
मेरे अंदर बाहर की
जिंदगी
मेरे तौर तरीके
बातचीत
मेरे दोस्त, मेरा परिवार भी
तय कर दिया तुमने
अब मुझे तय
करने दो
कि तुम्हें क्या
तय करना चाहिए, क्या नहीं...