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जानवरों के उसूल‌ / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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एक छछूंदर धोती पहने,
गया कराने शादी।
उसके साथ‌ गई जंगल की
आधी-सी आबादी।

 जब छछूंदरी लेकर आईं,
फूलों की वरमाला।
छोड़ छछूंदर, चूहेजी को,
पहना दी वह माला।

इस पर कुंवर, छछूंदरजी का
भेजा ऊपर सरका।
ऐसा लगा भयंकर बादल,
फटा और फिर बरसा।

बोला, अरी बावरी तूने,
ऐसा क्यों कर डाला।
मुझे छोड़कर चूहे को क्यों,
पहना दी वरमाला।

वह बोली -रे मूर्ख छछूंदर,
 क्यों धोती में आया।
जानवरों के क्या उसूल हैं,
तुझे समझ ना आया।

सभी जानवर रहते नंगे,
यह कानून बना है।
जो कपड़े पहने रहते हैं,
उनसे ब्याह मना है।