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गामे मोन पड़ैए / कालीकान्त झा ‘बूच’
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रोटी एक्के कोण गय
बधुओ साग अनोन गय
तैयो कलकत्ता मे रहि रहि,
गामे पड़ैए मोन गय
गऽर गृहस्थी कलटि रहल अछि
धीओ पूता विलटि रहल अछि,
अजुके मिथिला सँ चलि अबियौ,
एलै टेलीफोन गय
आन-आन सभ टलहा चानी,
रानी बनि बसलै राजधानी,
धूमि-धूमि कऽ भीख मंगै छथि,
हमर मैथिली सोन गय
खेते लग करेहक सोती
पानि पटा उपजायब मोती,
हुगली केर बाबू सँ बढ़ियाँ
कमला कातक जोन गय
ताकल हावड़ा सँ दमदम धरि
परतर नहि मोरतर वाली केरि
ईडेन गार्डेन सँ सुन्नर अछि,
कोशी कातक बोन गय
पड़लि पार्क माँडर्न बाला छथि,
पतिए चढ़ा रहल माला छथि,
तिरहुतनी अपना भोला लय
ताकय धतुर अकोन गय