भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चराग़-ओ-आफ़ताब ग़ुम / सुदर्शन फ़ाकिर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:32, 7 मई 2014 का अवतरण
चराग़-ओ-आफ़्ताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नक़ाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गयी
गिलास ग़ुम शराब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
लिखा हुआ था जिस किताब में, कि इश्क़ तो हराम है
हुई वही किताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
लबों से लब जो मिल गये, लबों से लब जो सिल गये
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी