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श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता / गोविन्ददास
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श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता।
जो इनकी शरण जात है दौरि के, ताहि को तीहिं छिनु कर सनाथा॥१॥
एहि गुन गान रसखान रसना एक सहस्त्र रसना क्यों न दइ विधाता।
गोविन्द प्रभु तन मन धन वारने, सबहि को जीवन इनही के जु हाथा॥२॥