भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता / गोविन्ददास

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:45, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोविन्ददास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatP...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता।
जो इनकी शरण जात है दौरि के, ताहि को तीहिं छिनु कर सनाथा॥१॥

एहि गुन गान रसखान रसना एक सहस्त्र रसना क्यों न दइ विधाता।
गोविन्द प्रभु तन मन धन वारने, सबहि को जीवन इनही के जु हाथा॥२॥