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तू साँचा साहिब मेरा / दादू दयाल
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तू साँचा साहिब मेरा।
करम करीम कृपाल निहारौ, मैं जन बंदा तेरा॥टेक॥
तुम दीवान सबहिनकी जानौं, दीनानाथ दयाला।
दिखाइ दीदार मौज बंदेकूँ, काइक करौ निहाला॥
मालिक सबै मुलिकके साँइ, समरथ सिरजनहारा।
खैर खुदाइ खलकमें खेलत, दे दीदार तुम्हारा॥
मैं सिकस्ता दरगह तेरी हरि हजूर तूँ कहिये।
दादू द्वारै दीन पुकारै, काहे न दरसन लहिये॥