भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब का सोवै सखि / ललित किशोरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:14, 22 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ललित किशोरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
अब का सोवै सखि। जाग जाग।
रैन बिहात जातरस-बिरियाँ, चोलीके बँद ताग ताग॥

जोबन उमँग सकल कर बौरी आन-कान सब त्याग त्याग।
ललितकिसोरी लूट अनँदवा, पीतमके गर लाग लाग॥