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अब का सोवै सखि / ललित किशोरी

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अब का सोवै सखि। जाग जाग।
रैन बिहात जातरस-बिरियाँ, चोलीके बँद ताग ताग॥

जोबन उमँग सकल कर बौरी आन-कान सब त्याग त्याग।
ललितकिसोरी लूट अनँदवा, पीतमके गर लाग लाग॥