Last modified on 22 मई 2014, at 00:18

मन पछितैहौ भजन बिनु कीने / ललित किशोरी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:18, 22 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ललित किशोरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
मन पछितैहौ भजन बिनु कीने।
धन-दौलत कछु काम न आवै, कमल-नयन-गुन चित बिनु दीने॥१॥

देखतकौ यह जगत सँगाती, तात-मात अपने सुख भीने।
ललितकिसोरी दुंद मिटै ना, आनँदकंद बिना हरि चीने॥२॥