Last modified on 22 मई 2014, at 18:32

श्री नैना देवी जी की आरती / आरती

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:32, 22 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |संग्रह=आरतियाँ }} <poem> तेरा अद्भुत ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तेरा अद्भुत रूप निराला, आजा मेरी नैना माई।
तुझ पै तन-मन-धन सब वारूँ आजा मेरी माई॥
सुन्दर भवन बनाया तेरा, तेरी शोभा न्यारी,
नीके-नीके खम्बे लागे, अद्भुत चित्तर कारी।
तेरे रंग बिरंगा द्वारा॥ आजा..
झांझा और मिरदंगा बाजे और बाजे शहनाई,
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे, तबला शब्द सुनाई।
तेरा द्वार पै नौबत बाजे। आजा..
पीला चोला जरद किनारी लाल ध्वजा फहराये,
सिर लालो दा मुकुट विराजे निगाह नहिं ठहराये।
तेरा रूप न वरना जाये। आजा..
पान सुपारी ध्वजा, नारियल भेंट तिहारी लागे,
बालक बूढ़े नर नारी की भीड़ खड़ी तेरे आगे।
तेरी जय जयकार मनावे। आजा..
कोई गाये कोई बजाये कोई ध्यान लगाये,
कोई बैठा तेरे आंगन नाम की टेर सुनाये।
कोई नृत्य करे तेरे आगे। आजा..
कोई मांगे बेटा बेटी किसी को कंचन माया,
कोई मांगे जीवन साथी, कोई सुन्दर काया।
भक्तों किरपा तेरी मांगे। आजा..