भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जय गणेश देवा / आरती
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:40, 29 मई 2014 का अवतरण
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पारवती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥