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स्थूल होतें तें सुक्ष्म पैं झालें / गोरा कुंभार

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स्थूल होतें तें सुक्ष्म पैं झालें। मन हें बुडालें महासुखीं॥ १॥
माझें रूप माझें विरालेसें डोळां। माझें ज्ञान सामाविलें माझें बुबुळां॥ २॥
म्हणे गोरा कुंभार नवल झालें नाम्या। भेटी तुह्मां आह्मां उरली नाहीं॥ ३॥