Last modified on 2 जून 2014, at 00:01

राम गुण गायो नहीं / भजन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:01, 2 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKDharmikRachna}} {{KKCatBhajan}} <poem> राम गुण गायो नहीं आय करके, जमस...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

राम गुण गायो नहीं आय करके, जमसे कहोगे क्या जाय करके॥टेर॥
गर्भ में देखी नरक निसानी, तब तू कौल किया था प्रानी।
भजन करुँगा चित्त लाय करके॥१॥
बालपनेमें लाड लडायो, मात-पिता तने पालणे झुलायो।
समय गमायो खेल खाय करके॥२॥
तरुण भयो तिरिया संग राच्यो, नट मर्कट ज्यों निशदिन नाच्यो।
माया में रह्यो रे भरमाय करके॥३॥
जीवन बीत बुढ़ापो आवे, इन्द्री सब शीतल होय जावे।
तब रोवोगे पछताय करके॥४॥
वेद पुरान संत यों गावे, बार बार नर देही न पावे।
देवकी तिरोगे हरि गाय करके॥५॥