भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कल रात सपने में / सुशान्त सुप्रिय
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:54, 7 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशान्त सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कल रात
मेरे सपने में
गांधारी ने इंकार कर दिया
आँखों पर पट्टी बाँधने से
एकलव्य ने नहीं दिया
अपना अँगूठा द्रोण को
सीता ने मना कर दिया
अग्नि-परीक्षा देने से
द्रौपदी ने नहीं लगने दिया
स्वयं को जुए में दाँव पर
पुरु ने नहीं दी ययाति को
अपनी युवावस्था
कल रात
इतिहास और मिथिहास की
कई ग़लतियाँ सुधरीं
मेरे सपने में