Last modified on 8 जून 2014, at 21:24

जो नित सब में देखता / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:24, 8 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(राग देस)
 
जो नित सबमें देखता, चिन्मय श्रीभगवान।
होता कभी न वह परे हरि-दृगसे विद्वान्‌॥
ले जाते हरि स्वयं आ, उसको निज परधाम।
देते नित्य स्वरूप निज चिदानन्द अभिराम॥