Last modified on 8 जून 2014, at 21:56

कितने तुम अनुपम अति सुन्दर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:56, 8 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(राग भूपाली-ताल त्रिताल)
 
कितने तुम अनुपम अति सुन्दर सकल विश्व में हो सारे।
तुम अनन्त अमृतमय मधुमय जाके जीवन-धन प्यारे।
तुम्हीं विश्वमय, सभी विश्व है एक तुम्हींसे सना हु‌आ।
एक-‌एक अणु अखिल विश्वका तुम्हरे अणुसे बना हु‌आ॥