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व्रत-उपवास-नियम-तप-तत्पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग अडाणा-ताल मूल)
व्रत-उपवास-नियम-तप-तत्पर, दान शक्तिभर, वत्सल-भृत्य।
दया, विनय, परनारी-वर्जन, स्व-स्त्री-रति, सब सुन्दर कृत्य॥
सदाचार-शुचि-शील-परायण, सरल, सत्यवादी, मतिमान।
मातृ-पितृ-सेवक, श्रद्धा-युत, शुद्ध-धर्म रत, गत-अभिमान॥
अर्थ न्यायसे अर्जन करता, रखता नित प्रभु में विश्वास।
यथासाध्य सुख देता सबको, देता नहीं किसी को त्रास॥
आदर करता सब कुटुंब का, पालन, सब का करता मान।
उस गृहस्थपर कृपा-सुधा बरसाते संतत श्रीभगवान॥