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न तो कुछ कुफ़्र है न दीं कुछ है / ज़फ़र

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न तो कुछ कुफ़्र है, न दीं कुछ है
है अगर कुछ, तेरा यकीं कुछ है

है मुहब्बत जो हमनशीं कुछ है
और इसके सिवा नहीं कुछ है

दैरो-काबा में ढूँढता है क्या
देख दिल में कि बस यहीं कुछ है

नहीं पसतो-बुलन्द यकसां देख
कि फ़लक कुछ है और ज़मीं कुछ है

सर-फ़रो है जो बाग़ में नरगिस
तेरी आंखों में शरमगीं कुछ है

बर्क काँपे न क्यों कि तुझ में अभी
ताब-ए-आहे-आतिशीं कुछ है

राहे-दुनिया है, अजब रंगारंग
कि कहीं कुछ है और कहीं कुछ है