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नित्य ‘ज्ञानमय’, ‘नित्य ज्ञान’ जो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग शिवरञ्जनी-ताल कहरवा)
नित्य ‘ज्ञानमय’, ‘नित्य ज्ञान’ जो, नित्य ‘ज्ञानके मूलाधार’।
वे भगवान् प्राप्त हैं जिनको परम प्रेष्ठ बनकर साकार॥
बाहर-भीतर उनसे रहता बना एकरस जब संयोग।
तब न प्रयोजन वहाँ ज्ञानका, न कुछ प्रयोजन रखता योग॥