मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जुनि करू राम विरोग हे जननी
सुतल छलहुँ सपन एक देखल
देखल अवधक लोक हे जननी
दुइ पुरुष हम अबइत देखल
एक श्यामल एक गोर हे जननी
कंचन गढ़ हम जरइत देखल
लंकामे उठल किलोल हे जननी
सेतु बान्ह हम बन्हाइत देखल
समुद्र मे उठल हिलोर हे जननी