Last modified on 30 जून 2014, at 23:38

भोलेनाथ दिगम्बर दानी किए बिसरायल छी / मैथिली लोकगीत

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:38, 30 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=देवी...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भोलेनाथ दिगम्बर दानी किए बिसरायल छी
दुनियाँ सऽ ठोकरायल छी
जे सभ गेल अहाँक द्वार, क्यो नहि भेल विमुख सरकार
बाबा हमरे बेर से भांग खाय भकुआयल छी
बाबा धरब अहाँपर ध्यान, पूजब शिवशंकर भगवान
बाबा अहाँक चरण मे हम सब लेपटायल छी
जेहन कातिक-गनपति, तेहने हम अयलहुँ शरणागत
बाबा राखी चाहे बुराबाी, आब हम थाकल छी
की हेत अयलहुँ द्वार, किछु नहि पूछै छी सरकार
बाबा प्रेम मगन रस भांग पीबि मन्हुआयल छी