Last modified on 1 जुलाई 2014, at 17:52

तरुणी बयस मोर बीतल सजनी गे / मैथिली लोकगीत

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:52, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=ऋतू ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तरुणी बयस मोर बीतल सजनी गे
पहु बिसरल मोर नाम
कुसुम फुलिय, फुल मौलल सजनी गे
भ्रमरो ने लय विश्राम
सिर सिन्दूर नहि भाबय सजनी गे
मुरूछि खसय एहि ठाम
उठइत परम बेयाकुल सजनी गे
दैव किए भेल बाम
कोकिल कुहुकि सुनाओल सजनी गे
नयन ढरकि खसु वारि
अधरस ओतय गमाओल सजनी गे
दय गेल सौतिन गारि
युगल नयन मन व्याकुल सजनी गे
थिर नहि रहय गेयान
विद्यापति कवि गाओल सजनी गे
ई थिक दुखक निदान