मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आएल अखाढ़ इहो सुख भेल
अमुआँ सऽ जमुआँ कटहर पाकि गेल, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
साओन बेली फुलय भकरार
देखि देखि नयना बहय जलधार, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
भादव के निसि राति अन्हार
पिया बिनु धर्म नहि बांचत हमार, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
आसिन मन में छल बिसवास
औता गोकुल सऽ पूरत अभिलास, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
कातिक पिया भेल कठोर
पछिला प्रीत बिसरि देल मोर, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं
अगहन सारिल लिबि गेल धान
सबहक श्याम बसै छथि धाम, मोहन नहि मिलिहैं
हो भगवान, केहन बेकल भेल प्राण, मोहन नहि मिलिहैं