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नहाय-सुनाय उतिमा भीड़ चढ़ि बैसलि / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नहाय-सुनाय उतिमा भीड़ चढ़ि बैसलि
उतिमा झाड़ै छै नामी केशिया रे की
घोड़बा चढ़ल अबै जालिम सिंह रसिया
उतिमा सुरतिया देखि लोभयलै रे की
कहाँ गेले किये भेल होरिल सिंह सिपहिया
उतिमा के कय दियौ दान रे की
केशिया झाड़ैते उतिमा भैया आगू ठाढ़ि ीोली
भौजो कहै कुबोलिया रे की
अगिया लगेबौ उतिमा तोरो नामी केशिया
बजर खसेबौ सुरतिया रे की
कहाँ गेल कीये भेल गाम कोतबलबा
दुइ बोझ करची कटयबै रे की
एतबा वचन सुनलनि होरिल सिंह सिपहिया
झट दय डोलिया फनाबै रे की
एक कोस गेली उतिमा, दुइ कोस गेली
तेसरे मे लागल पियास रे की
गोर लागू पैंया पडू अगिला कहरिया
चुरु एक पनिया पियाबऽ रे की
एक चुरु पील उतिमा, दोसर चुरू पील
तेसरे मे खीरय पताल रे की
हम ने जनलियौ उतिमा, तोहें डुबि मरबें
डेरबा पइसि इज्जति लितियौ रे की
बाबा कुल तारले उतिमा, भैया कुल तारले
रखले बियहुआ के मान रे की