भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बदरा उमड़ि-उमड़ि घन गरजय / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:27, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=ऋतू ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बदरा उमड़ि-उमड़ि घन गरजय
बुन्दिया बरिस लागय ना
बदरा...
दादुर मोर पपीहा गाबय
जिया उमताबय ना, हो जिया उमताबय ना
बदरा...
बिरहक आगि कुहुकि कुहुकाबय
बइरी कोइलिया ना, हो बइरी कोइलिया ना
बदरा...
पिउ के पाती लिखब हम कत विधि
तइयो ने पिघलय ना, हो तइयो ने पिघलय ना
बदरा...
कन्त हमर हियहन्त भेल छथि
दरदो ने जानय ना, हो दरदो ने जानय ना
बदरा...