भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पुरुष हिया थिक कमलक पात / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 2 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=विवि...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पुरुष हिया थिक कमलक पात
परय प्रीति जल होअय कात
बहुत जतनसँ आँकल रोय
प्रेम लिखल तहि आखर दोय
नयनक काजर काढ़ल नाय
प्रेम बिकायल प्रेम बेसाह
पहिने कयल प्रीति उपचार
हम धनि अबला भेलौं देखार
के बुझ के बुझ विरहक बात
कुमर विरह जिब कयलक आँट