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स्वीकारोक्ति / अंजू शर्मा

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इन दिनो मैं कम लिखती हूँ
तमाम बेचैन रातों
और करवटों के
मुसलसल सिलसिले
के बावजूद

मेरे लिए
सुकून का मसला रहा है
कविताओं का कम
और कमतर होते जाना

हो सकता है
गैर-मामूली हो ये बयान
कि मैं इंतज़ार में हूँ
कुछ लिखी गयी कविताओं के
खो जाने के...