भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया / हरियाणवी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:15, 9 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=फा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया केसर कस्तूरी की चमचाई
उड़े हो गुलाल रोली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे माथे पै मारी बिन्दी की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे मुखड़े पै मारी बेसर की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे छाती पै मारी माला की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे हाथां पै मारी गजरे की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया
भर पिचकारी मेरे पायां पै मारी बिछुवा की आब उतारी हो रसिया
आज बृज में होली हो रसिया