सहित सहस्र चतुर्दश राक्षसगण के, जो थे पापाचार।
धर्मद्वेषी खर-दूषण का महासमर में कर संहार॥
बैठे रामभद्र, मुनियों ने आकर किया समुद सत्कार।
परम प्रशंसा कर सब करने लगे चतुर्दिक जय-जयकार॥
लगे बजाने देव दुन्दुभी अन्तरिक्ष में बारबार।
रामचन्द्र का अद्भुत अत्याश्चर्यपूर्ण यह कर्म निहार॥