हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मैं तो बीस बरस की होली ईबना सादी का विचार
नाई ब्राह्मण गए, दिल्ली के बाजार
उन नै सारी दुनियां देखी कोई ना जोड़ी का भरतार
एक दिल्ली में बूढ़ा बैठ्या तख्त बिछाए
भाई मेरी सादी करदै, ले ले ढाई हजार
वाने डाढ़ी मूछ कटाई हो ग्यो बूढे तैं जवान
बेटी फेरे ले ले तेरे करमण के भार
मेरी दादी फेरे ले ले तेरी जोड़ी का भरतार