हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
एरी बनड़ा चलै नां चलणदे, हे री रस्ते में खड़ी गुजरिया
बनड़ा सीस तेरे का सेहरा, बनड़ा कान तेरे के मोती
एरी उस की लड़ियां लहरा ले, हे री रस्ते में खड़ी गुजरिया
बनड़ा गल तेरे का तोड़ा, बनड़ा अंग तेरे का जामा
एरी उस की चोली लहरा ले, हे री रस्ते में खड़ी गुजरिया
बनड़ा हाथ तेरे की घड़ियां, बनड़ा पैर तेरे का जूता
एरी उस की चलगत लहरा ले, हे री रस्ते में खड़ी गुजरिया
बनड़ा हेठ तेरे की लीली, बनड़ा सेज तेरे की बनड़ी
एरी उस की जोड़ी लहरा ले, हे री रस्ते में खड़ी गुजरिया