हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पिया मेरी किलफां ले जा, भर्या बाहण के भात
मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात
हो उसनै कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार
है तनक सी ने भैया लिया रे समझाए
पिया मेरा झूमर ले जा, भर्या बाहन के भात
मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात
हो उसने कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार
है तनक सी नै भैया लिया रे समझाए
पिया मेरा गुलबन्द ले जा, भर्या बाहन के भात
मैं कैसे जाऊं नौतन ना आई मेरे भात
हो उसने कोई न जाणै हम ने तकेगा संसार
है तनक सी नै भैया लिया रे समझाए