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मेरी नाजुक नरम कलाई रे / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी नाजुक नरम कलाई रे, पनियां कैसे जाऊं?
अपने ससुर की मैं ऐसी लाडली
आंगन में कुई खुदवाई रे, पनियां कैसे जाऊं?
मेरी नाजुक नरम...
अपने जेठ की मैं ऐसी लाडली
रेसम की डोर बंटवाई रे, पनियां कैसे जाऊं?
मेरी नाजुक नरम...
अपने देवर की मैं ऐसी लाडली,
सोने की झारी मंगवाई रे, पनियां कैसे जाऊं?
मेरी नाजुक नरम...
अपने पिया की मैं ऐसी लाडली,
दो दो पनिहारी रखवाई रे, पनियां कैसे जाऊं?
मेरी नाजुक नरम...
सास ननद मेरी जनम की बैरन,
आंगन की कुई मुंदवाई रे, पनियां कैसे जाऊं?
मेरी नाजुक नरम...
दौरानी जेठानी मेरी जनम की बैरन,
लगी पनिहारी हटवाई री, पनियां कैसे जाऊं?
मेरी नाजुक नरम...