Last modified on 13 जुलाई 2014, at 15:23

टोकणी पीतल की रे / हरियाणवी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:23, 13 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=पन...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

टोकणी पीतल की रे रोहतक तै मोल मंगाई
ईठवां जाली का मैंने उसपै दोगढ़ जचाई
छेल तराइये ओ तेरी हूर लरजदी आई
घर ने मत आइए तेरा आ रा सुभे सिंघ भाई
इतनी सी सुन कै हो सासड़ ने नणद दौड़ाई
पाणी के म्हारे रिते पड़े तेरा मरियो सुबेसिंघ भाई
नणद चाली गाल मत दे सूबेसिंघ की के लगै सै लुगाई