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उजला भोजन गाए धन / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उजला भोजन गाए धन, घर कुलवंती नार।
चौथे पीठ तुरंग की बहिसत निसानी चार।।