Last modified on 13 जुलाई 2014, at 15:50

नगरकोट में बासा राणी / हरियाणवी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:50, 13 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=दे...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नगरकोट में बासा राणी
तेरे कला कुल जग नै जाणी
कथा बखाणै बिरमा ज्ञानी
दुआरे तेरे पीपल री खड़ी
मुगला उतर्या सतलज नदी
सूती हो उठ री नदी
लौकड़ लहीं खड्या है झंडी
जिब जाला नै चकर चलायी
फौज मुगल की काट बगाई
मुगल कहै मन्नै बकसो माई
जिब जाला की करी चढ़ाई
खीर खांड के थाल भराए
धजा नारियल लेकर आये
मुगला भेंट ले कै री आया
जिब लौकड़ नै कथा सुनाई
सूती उठ जाग री माई
मुगल भेंट भवन तेरे में लहें री खड़ा
धजा नारियल भेंट चढ़ाई
लौकड़िया तेरे अगवाणी खड़ा