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राजा गर्मी के मारे अंगिया भीजै हमारी / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
राजा गर्मी के मारे अंगिया भीजै हमारी
कुछ गर्मी से कुछ सर्दी से दूजा जोर जवानी का
कोठे चढ़न ते देवर बुलावै आजा राज दुलारी
अंगिया भीजै हमारी
मैं कैसे आऊं मेरे छोटे से देवरिया
कदम कदम हुआ भारी
अंगिया भीजै हमारी
बारां बरस पिया चाकरी से आए रोवै राज दुलारी
अंगिया भीजै हमारी