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हार सै सिंगार छोरियो कुरता ढीला हे / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हार सै सिंगार छोरियो कुरता ढीला हे
किसी सखस नै मोहली चन्द्रो बोल रसीला हे
सुनरे के नै हार घड्या था ज्योड़ा बाट लिया
बेरा ना कद मिलणा होगा छोरा नाट लिया
चलो हे छोरियो छोडण चालो उल्टी बोहड़ ले
जिस साले नै गरज पड़ैगी हाथ जोड़ ले
आ जा जीजा बैठ पिलंग पै दुख-सुख की बतला ले
मैं तेरी छोटी साली जीजा बढ़िया सूट सिमा दे।