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एक रोटी को बैल बिका / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
एक रोटी को बैल बिका अर पैसा बिक गया ऊंट
चौतींसा नै खोदिया भैंस गाया का बंट
चौंतीसा ने चौंतीसा मारै जिये वेश कसाई
औह मारै तकड़ी अर उस ने छुरी चलाई