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कइए देलकई गोल / यात्री

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हाँजक हाँज छउँड़ी सभ खेलाइत अछि बास्केट बाल
चउरंगीक रमना...
सुविस्तृत मैदान...
रविक जड़काला अपराह्न...
मित्रलाभेँ प्रमुदित, परस्पर विनोदलीन
हमरा लोकनि तीनि गोटेँ
देखइ छी फुर्तीबाज तरूणीवृन्दक क्रीड़ा - कौतुक
दू रंगक परिधानेँ दू हांज मेँ विभक्त-
ऐंग्लो-इंडियन छउँड़ीसभ
छरपइए, कुदइए, बॉल पर लधुकइए
बचवइए दहिना - बामा...
हे लिअ’ हे लिअ’ कइए देलकइ गोल
वाह रे वाह, काकोड़केशी कुइरी-पतरकी छँउड़ी।