भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माता पिता ने धरम डिगा दिया / हरियाणवी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:23, 17 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माता पिता ने धरम डिगा दिया महाराणा तैं डर कै
पति का परेम भुलावण लाग्यी क्यों धिंगताणा कर कै
अपनी मां के संग थी मीरा पूजा बीच निगाह थी
एक वर पूजण गया मंदिर में बारात सजी संग जा थी
मैं बोली कौण कित जा सै समझ लावण आली मां थी
न्यूं बोली बनड़ा बनड़ी ल्यावे जिसने पति की चाह थी
मैं बोली मेरा पति कौन झट हाथ लगाया गिरधर कै
पति का परेम...
नाम सुणा जब गिरधर जी का आनंद हो गई काया
बीरबानी ने पति बिना अच्छी लागै ना धन माया
उसका परेम ठीक हो जा सै जिस ने ज्यादा परेम बढ़ाया
खुद माता के कहने से मैंने गिरधर पति बनाया
करूं परीति सच्चे दिल तै परेम बीच में भर कै
पति का परेम...