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एक दिन होगा ढेर मैदान में / हरियाणवी

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एक दिन होगा ढेर मैदान में, किस गफलत में फिर रहा सै।
सब बातां नै भूल जायेगा, जब आवैगा बखत अखोरी।
माता बहनां धौरा धरजां, उल्टी हटजा अरज सरीरी।
यम के दूत पकड़ कै लेजां, हाथां में तेरे घाल जंजीरी।
एैल फेल नै भूल जायेगा, रेते में रल जां ठाठ।
सीस पकड़ कै रोवैगा, रै कुनबा हाजा बारह बाट।
नैपे सिर का कफन मिले ना, नीचे तो जा काठ की खाट।
भजा सै भजन जबान में, किस ढंग का छल भर रहा सै।
एक दिन होगा ढेर...
उस मालिक की भक्ति करले न, घर ईसवर के होगा जाणा।
के तो राजी खुसी डिगर जा, ना तै होगा धिंगताणा।
मोहर छाप तेरी खाली रहजा, छट लिया तेरा अन्न जल दाणा।
भक्ति करले उस मालिक की, दीये छोड़ कपट का जाल।
धरमराज की पूंजी बरतै, मूरख कोन्या करता ख्याल।
एक दिन खाली होवै कोथली, लिकड़ जां तेरे सारे माल।
एक दिन जलना पड़ै समसान में, किस मोह ममता में घिर रहा सै।
एक दिन होगा ढेर...