भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अहँक लेल रंजन / कालीकान्त झा ‘बूच’
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:17, 18 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कालीकान्त झा ‘बूच’ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अहँक लेल रंजन, हमर भेल गंजन
केहेन खेल ई, रक्त सँ हस्त मंजन
तरल नेह पर मात्र दुःखक सियाही
जड़ल देह हम्मर अहँक आँखि अंजन
रचल गेल छल जे, सुखक लोक सुन्दर
चलल अछि प्रलय लऽ तकर सुधिप्रभंजन
मृतक हम, अहाँ छी सुधा स्वर्ग लोकक
अहँक लेल यौवन हमर गेल जीवन